Inspirational Krishna Quotes In Hindi
भारतीय संस्कृति में भगवान कृष्णा की महत्वपूर्ण भूमिका है। महाभारत के भगवान कृष्णा माधव, यशोदानंदन, माखनचोर, गोपाल, रथचलच्चट, नन्दलाल और योगेश्वर जैसे अनेक नामों से पुकारे जाते हैं। उनके वचन और उपदेशों में छिपी सच्ची ज्ञान, आदर्शों की महानता और अन्तर्मन के सबसे गहरे कोने को छूने की शक्ति होती है। इस लेख में, हम हिंदी में प्रेरणादायक कृष्णा के अनमोल वचनों को जानेंगे। ये वचन आपको जीवन के मार्गदर्शन में सहायता करेंगे और आपको आद्यात्मिक उन्नति की ओर प्रेरित करेंगे।
- “कर्म का फल तुझे चाहिए तो कर्म कर, फल की चिंता मत कर।” यह वाक्य कृष्णा भगवान का एक प्रसिद्ध वचन है जो हमें यह सिखाता है कि हमें केवल कर्म में लगना चाहिए और फल की चिंता छोड़नी चाहिए। हमें अपने कर्मों को ईमानदारी से करना चाहिए और भगवान को उसका फल सौंपना चाहिए।
- “जो मनुष्य मेरे प्रेम में और मैं मनुष्य के प्रेम में भ्रमित हूँ, वह वास्तविक ज्ञानवान है।” इस वचन में कृष्णा भगवान हमें यह बताते हैं कि आत्मा के मध्य एकता होने पर ही आद्यात्मिक ज्ञान प्राप्त हो सकता है। जब हम परमात्मा के प्रेम में विश्वास रखते हैं और दूसरों के प्रेम का सम्मान करते हैं, तब हमें सत्य का ज्ञान प्राप्त होता है।
संक्षेप में कहें तो, भगवान कृष्णा के अनमोल वचन हमें सत्य, प्रेम, कर्म और आद्यात्मिक उन्नति के मार्ग पर प्रेरित करते हैं। ये वचन हमें जीवन के हर पहलू में सहायता करेंगे और हमें समर्पण के मार्ग पर चलने में सहायता करेंगे। इन वचनों का अध्ययन करके हम अपने जीवन को आदर्शमय बना सकते हैं और सच्ची संतोष, खुशियाँ और समृद्धि का आनंद उठा सकते हैं।
आशा करते हैं कि आपको यह प्रेरणादायक कृष्णा के अनमोल वचन पसंद आएंगे। इन वचनों को अपने जीवन में अमल करें और सच्ची आनंदमय जीवन की प्राप्ति करें। हरी बोल!
Inspirational Krishna Quotes In Hindi
अहंकार से इंसान की प्रतिष्ठा, वंश, वैभव, तीनों ही समाप्त हो जाते हैं।
मौन सबसे अच्छा उत्तर है ऐसे व्यक्ति के लिए, जो आपके शब्दों को महत्व नही देता।
प्रेम सदा ही माफी मांगना पसंद करता है और अहंकार सदा ही माफी सुनना पसंद करता है।
जिस मनुष्य के चारों तरफ नकारात्मक ऊर्जा वाले लोग रहते हैं उस मनुष्य का मंजिल से भटक जाना निश्चित है।
जीवन में आधे दु:ख इस वजह से आते है, क्यूंकि हमने उनसे आशाऐं बना रखी है जिनसे हमें नहीं बनानी चाहिए थी।
जब यह संसार ही स्थाई नहीं है तब इस संसार की कोई वस्तु कैसे स्थाई हो सकती है।
मनुष्य का अपने मन को नियंत्रित रखना किसी घोड़े के नवजात शिशु को नियंत्रण में रखना जितना कठिन कार्य होता है।
निर्बलता ईश्वर देता है लेकिन मर्यादा मनुष्य का मन स्वयं निर्माण करता है।
“जब मनुष्य अपने भीतर के अज्ञान को दूर कर देता है, तभी वह शांति और सत्य की ओर अग्रसर होता है।”
धर्म केवल कर्म से होता है कर्म के बिना धर्म की कोई परिभाषा ही नहीं है।
इंसान की सोच ही उसकी सबसे बड़ी पहचान है वरना दुनिया में एक नाम के अनेक इंसान है।
अमीर बनने के लिए एक एक क्षण संग्रह करना पड़ता है, किन्तु अमर बनने के लिए एक एक कण बांटना पड़ता है।
श्री कृष्ण कहते हैं एक बार माफ़ करके अच्छे बन जाओ। पर दुबारा उसी इन्सान पर भरोसा करके बेवकूफ कभी न बनो।
यदि आप किसी के साथ मित्रता नहीं कर सकते हैं, तो उसके साथ शत्रुता भी नहीं करना चाहिए।
कृष्ण ने दुष्टों को भी अपनी गलती सुधारने का मौका दिया, क्योकि वो किसी मनुष्य को नहीं उसके अंदर के बुराई को मारना चाहते थे।
स्वार्थ से रिश्ते बनाने की कितनी भी कोशिश करें, वो कभी नही बनते हैं। और प्रेम से बने रिश्तों को कितना भी तोड़ने की कोशिश करें, वो कभी नही टूटते।
जीवन में आधे दुख इस कारण जन्म लेते हैं, क्योंकि हमारी आशाएं बड़ी होती है। इन आशाओं का त्याग करके देखो, जीवन में सुख ही सुख है।
श्री कृष्ण ने कहा है, अगर तुम्हें किसी ने दुखी किया है तो बुरा मत मानना। लोग उसी पेड़ पर पत्थर मारते है, जिस पेड़ पर ज्यादा मीठे फल होते है।
मनुष्य अपने विश्वास से निर्मित होता है, जैसा वो विश्वास करता है वैसा वो बन जाता है।
शब्द उतने ही बाहर निकालने चाहिए, जिन्हें वापिस भी लेना पड़े तो खुद को तकलीफ न हो।
दिव्यता केवल शक्तिशाली होने में नहीं, बल्कि वास्तविक दिव्यता दूसरों में शक्ति जाग्रत करने में है।
जब हम स्वयं जीवन के शिल्पकार हैं, तो चलो हम अपनी मुश्किलों को हराते हैं, जीवन में मुस्कुराते हैं।
“जो आप जो चाहते हैं उसके लिए नहीं लड़ते हैं; तो जो खोया उसके लिए मत रोओ।”
“जिस इंसान के चारों तरफ नकारात्मक लोग रहते हैं, उस इंसान का मंजिल से भटक जाना तय है।”
प्यार दो आत्माओं का मिलन होता है ठीक वैसे हीं जैसे प्यार में कृष्ण का नाम राधा और राधा का नाम कृष्ण होता है।
“सत्य कभी नष्ट नहीं हो सकता। अच्छा करने से नहीं डरना चाहिए।”
नकारात्मक विचारों का आना तय है परन्तु यह आप पर निर्भर करता है की आप उन्हें कितना महत्व देते है।
परेशानी में कोई सलाह मांगे तो सलाह के साथ अपना साथ भी देना क्योंकि सलाह गलत हो सकती है साथ नहीं।
खुशी मन की एक ही अवस्था है, जिसका बाहरी दुनिया से कोई लेना-देना नहीं है।
भ्रम बुद्धि को नष्ट कर देती है बुद्धि के नष्ट होते ही व्यक्ति का पतन हो जाता है।
You may also like this: